कुछ उलझे सवालो से डरता है दिल
जाने क्यों तन्हाई में बिखरता है दिल
किसी को पाने कि अब कोई चाहत न रही
बस कुछ अपनों को खोने से डरता है ये दिल
जाने क्यों तन्हाई में बिखरता है दिल
किसी को पाने कि अब कोई चाहत न रही
बस कुछ अपनों को खोने से डरता है ये दिल
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