ज़िक्र भी करदूं ‘मोदी’ का तो खाता हूँ गालियां

1 comment

ज़िक्र भी करदूं ‘मोदी’ का तो खाता हूँ गालियां 
अब आप ही बता दो मैं
इस जलती कलम से क्या लिखूं ??
कोयले की खान लिखूं
या मनमोहन बेईमान लिखूं ?
पप्पू पर जोक लिखूं
या मुल्ला मुलायम लिखूं ?
सी.बी.आई. बदनाम लिखूं
या जस्टिस गांगुली महान लिखूं ?
शीला की विदाई लिखूं
या लालू की रिहाई लिखूं
‘आप’ की रामलीला लिखूं
या कांग्रेस का प्यार लिखूं
भ्रष्टतम् सरकार लिखूँ
या प्रशासन बेकार लिखू ?
महँगाई की मार लिखूं
या गरीबो का बुरा हाल लिखू ?
भूखा इन्सान लिखूं
या बिकता ईमान लिखूं ?
आत्महत्या करता किसान लिखूँ
या शीश कटे जवान लिखूं ?
विधवा का विलाप लिखूँ ,
या अबला का चीत्कार लिखू ?
दिग्गी का’टंच माल’लिखूं
या करप्शन विकराल लिखूँ ?
अजन्मी बिटिया मारी जाती लिखू,
या सयानी बिटिया ताड़ी जाती लिखू?
दहेज हत्या, शोषण, बलात्कार लिखू
या टूटे हुए मंदिरों का हाल लिखूँ ?
गद्दारों के हाथों में तलवार लिखूं
या हो रहा भारत निर्माण लिखूँ ?
जाति और सूबों में बंटा देश लिखूं
या बीस दलो की लंगड़ी सरकार लिखूँ ?
नेताओं का महंगा आहार लिखूं
या 5 रुपये का थाल लिखूं ?
लोकतंत्र का बंटाधार लिखूं
या पी.एम्. की कुर्सी पे मोदी का नाम लिखूं ?
अब आप ही बता दो मैं
इस जलती कलम से क्या लिखूं”

जल से पतला कौन है ?

18 comments



जल से पतला कौन है ? कौन भूमि से भारी ?
कौन अग्नि से तेज़ है ? कौन काजल से काली ? 

कुछ उलझे सवालो से डरता है दिल

Leave a Comment

कुछ उलझे सवालो से डरता है दिल
जाने क्यों तन्हाई में बिखरता है दिल
किसी को पाने कि अब कोई चाहत न रही
बस कुछ अपनों को खोने से डरता है ये दिल

क्रिकेट कुछ भी

Leave a Comment

आज तो जनाब हालात ऐसे हैं कि जिनके शब्द खुद को समझ नहीं आते 
वही आजतक पर "मैं समझता हूँ, मैं समझता हूँ" कहकर क्रिकेट एक्सपर्ट बने बैठे हैं। 

‪#‎अजहरुद्दीन‬
#justjoking

विकल्प मिलेंगे बहुत

Leave a Comment

"विकल्प मिलेंगे बहुत, मार्ग भटकाने के लिए...  
संकल्प एक ही काफ़ी है, मंज़िल तक जाने के लिए...!!!"

एक जमाना था

Leave a Comment


एक जमाना था लोग घरों पर लिखते थे अतिथिः देवो भवः
 ..धीरे-धीरे जमाना बदलने लगा। लोग घरों पर स्वागतम् लिखने लगे।

 एक जमाना अब चल रहा है जब घरों पर लोग लिखते है :- '' कुत्तों से सावधान''

मत रंज कर ए दिल, गर तुझ पर गम की रात है

Leave a Comment


मत रंज कर ए दिल, 
गर तुझ पर गम की रात है.
फिर वही दिन आयेंगे 
 दो चार दिन की बात है.